हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) – Hypertension In Hindi

उच्च रक्तचाप, जिसे हाई ब्लड प्रेशर भी कहते हैं, दिल का दौरा, किडनी फेलियर और स्ट्रोक का बड़ा कारण हो सकता है। इसे सही तरीके से कैसे नियंत्रित करें, जानें।

doctor checking the blood pressure for hypertension

हृदय पूरे शरीर में रक्त पंप करता है, और रक्तचाप वह दबाव है जो रक्त धमनियों की दीवारों पर डालता है। जब यह दबाव लगातार उच्च बना रहता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। उच्च रक्तचाप से धमनियों में एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) का खतरा बढ़ जाता है—यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों में फैटी प्लाक्स (fatty plaque) जमा हो जाते हैं, जिससे वे सख्त और संकीर्ण हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस के सामान्य जोखिम कारकों में धूम्रपान, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापा शामिल हैं।

हृदय रोग सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) में प्रस्तुत 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि देश में पांच में से एक युवा वयस्क को उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाता है, जिसका अर्थ है कि अधिकांश लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह है। इस मौन खतरे को समय पर पकड़ने के लिए नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करना अत्यावश्यक है।

रक्तचाप नियंत्रण को समझना

जब हृदय सिकुड़ता है, तो यह रक्त को महाधमनी (aorta ) और धमनियों (arteries) में बाहर की ओर धकेलता है। यह रक्त फिर छोटी वाहिकाओं में जाता है जिन्हें धमनीकाएं (arterioles) कहते हैं। धमनीकाओं की मांसपेशीय दीवारें होती हैं जो उनकी चौड़ाई या संकीर्णता को नियंत्रित करती हैं। जब ये संकीर्ण हो जाती हैं, तो रक्त का प्रवाह कठिन हो जाता है।

जब रक्त प्रवाह कम हो जाता है, तो मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य अंगों में मौजूद सेंसर इस परिवर्तन को महसूस करते हैं। यह तंत्रिका प्रतिक्रियाओं और हार्मोन्स की रिलीज़ को प्रेरित करता है, जिनमें रेनिन-एंजियोटेंसिन-एल्डोस्टेरोन सिस्टम (RAAS) और सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम शामिल हैं। ये प्रतिक्रियाएँ हृदय को अधिक जोर से धड़कने और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने के लिए प्रेरित करती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और संकीर्ण धमनीकाओं के माध्यम से रक्त को धकेलता है।

ये समायोजन अच्छे रक्त प्रवाह को बनाए रखने और मस्तिष्क और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों की रक्षा करने में मदद करते हैं।हालांकि, कुछ लोगों में ये समायोजन स्थायी हो जाते हैं, जिससे लगातार उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

रक्तचाप कैसे मापा जाता है

हृदय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने और किसी संभावित समस्या का पता लगाने के लिए रक्तचाप मापना अत्यंत महत्वपूर्ण है।  यह प्रक्रिया एक उपकरण का उपयोग करके की जाती है जिसे स्फिग्नोमनोमीटर (sphygmomanometer)  कहा जाता है, जो अक्सर स्टेथोस्कोप (stethoscope)  के साथ उपयोग किया जाता है।

शुरुआत में, एक कफ (cuff) को ऊपरी बांह (upper arm) के चारों ओर लपेटा जाता है और उसे फुलाया जाता है ताकि रक्त प्रवाह को अस्थायी रूप से रोका जा सके। जैसे ही कफ की हवा छोड़ी जाती है, रक्त का प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है, और धमनियों में दबाव को मापा जाता है। यह माप दो महत्वपूर्ण मान प्रदान करता है:

  • सिस्टोलिक प्रेशर: यह उच्चतम मान होता है, जो उस समय धमनियों में दबाव को दर्शाता है जब हृदय सक्रिय रूप से रक्त पंप कर रहा होता है। सामान्य सिस्टोलिक दबाव आमतौर पर 110 से 130 mmHg के बीच होता है।
  • डायस्टोलिक दबाव:  यह वह कम दबाव होता है, जो उस समय धमनियों में दबाव को दर्शाता है जब हृदय धड़कनों के बीच आराम की अवस्था में होता है। सामान्य डायस्टोलिक दबाव आमतौर पर 70 से 80 mmHg के बीच होता है।

रक्तचाप के माप को सिस्टोलिक और डायस्टोलिक के रूप में दिया जाता है (जैसे, 120/80 mmHg)। सही माप तकनीक आवश्यक है ताकि सही परिणाम मिल सकें, जो हृदय स्वास्थ्य की निगरानी और प्रबंधन में मदद करता है। नियमित जांचें स्वस्थ रक्तचाप बनाए रखने और किसी भी चिंता को जल्दी सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

उच्च रक्तचाप का लक्षणहीन स्वरूप: सामान्य स्थिति की वजहें

उच्च रक्तचाप अक्सर पता नहीं चलता क्योंकि शरीर बिना किसी साफ लक्षण के भी उच्च रक्तचाप के साथ ढल जाता है। इसलिए, जल्दी पहचान और सही प्रबंधन के लिए नियमित चिकित्सा जांचें करना बहुत जरूरी है।

लंबे समय तक उच्च रक्तचाप कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है, जैसे:

  • हार्ट अटैक
  • हार्ट फेलियर
  • किडनी रोग 
  • स्ट्रोक
  • दृष्टि की समस्याएँ
  • परिधीय धमनी रोग (Peripheral artery disease)

अक्सर लक्षण न दिखने के कारण, बहुत से लोग अपनी स्थिति के बारे में तब तक नहीं जान पाते जब तक गंभीर समस्याएँ नहीं हो जातीं।

उच्च रक्तचाप का कारण बनने वाली जीवनशैली की आदतें

यहाँ उच्च रक्तचाप को बढ़ाने और धमनियों पर इसके प्रभाव को बिगाड़ने वाले कारकों की एक पूरी सूची दी गई है:

उच्च रक्तचाप और धमनियों को नुकसान पहुँचाने वाले कारक:

  • उम्र
  • पारिवारिक इतिहास और जीन (genetics)
  • मोटापा और अधिक वजन
  • कम गतिविधि वाली जीवनशैली
  • अधिक नमक (सोडियम) का सेवन
  • कम पोटेशियम का सेवन
  • ज्यादा शराब पीना
  • धूम्रपान और तंबाकू का इस्तेमाल
  • लगातार तनाव
  • नींद की समस्या (स्लीप एपनिया)
  • मधुमेह
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • दीर्घकालिक गुर्दे की बीमारी (Chronic kidney disease)
  • थायरॉयड की समस्याएँ
  • कुछ दवाएँ (जैसे, NSAIDs, जन्म नियंत्रण की गोलियाँ)
  • अवैध ड्रग्स (जैसे, कोकीन, एम्फेटामिन्स)
  • गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएँ (जैसे, प्रीक्लेम्प्सिया)
  • सूजन संबंधी बीमारियाँ (जैसे, ल्यूपस, रुमेटॉयड आर्थराइटिस)
  • कुछ जन्मजात समस्याएँ (जैसे, एओर्टा का संकुचन)
  • वायु प्रदूषण
  • सीसा का संपर्क (Lead exposure)
  • विटामिन डी की कमी
  • अत्यधिक कैफीन का सेवन
  • निर्जलीकरण (Dehydration)
  • हार्मोनल असंतुलन

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दवाएँ जो रक्तचाप को बढ़ा सकती हैं

उच्च रक्तचाप को बढ़ाने या बिगाड़ने वाली दवाएँ:

  • NSAIDs (जैसे, इबुप्रोफेन, नैप्रोक्सेन)
  • ओरल गर्भनिरोधक और हार्मोन थेरपी
  • डीकोन्जेस्टेंट्स (जैसे, स्यूडोएफेड्रिन)
  • कुछ एंटीडिप्रेसेंट्स (जैसे, MAOIs, SNRIs)
  • उत्तेजक दवाएँ (जैसे, मिथाइलफेनिडेट, एम्फेटामिन्स)
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स (जैसे, प्रेडनिसोन)
  • कुछ इम्यूनसप्रेसेंट्स और कैंसर की दवाएँ
  • कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स (जैसे, एपेड्रा, जि़लयाट)

महत्वपूर्ण बातें:

  • दवाओं के असर व्यक्ति और खुराक के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
  • कोई भी दवा शुरू करने या बंद करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  • अपने डॉक्टर को बताएं कि आप कौन-कौन सी दवाएँ और सप्लीमेंट्स ले रहे हैं।
  • डॉक्टर अक्सर विकल्प ढूंढ़ सकते हैं या खुराक को बदल सकते हैं ताकि रक्तचाप पर असर कम हो सके।

उम्र बढ़ने का रक्तचाप पर प्रभाव

उम्र बढ़ने के साथ, हृदय और धमनियों में कई बदलाव होते हैं जो रक्तचाप को प्रभावित कर सकते हैं:

  • धमनी की कठोरता बढ़ना: धमनियाँ कम लचीली और कठोर हो जाती हैं, जिससे सिस्टोलिक (ऊपरी) रक्तचाप बढ़ता है और डायस्टोलिक (नीचला) रक्तचाप कम होता है। इसे आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन ( isolated systolic hypertension) कहा जाता है।
  • उच्च सिस्टोलिक दबाव: उम्र के साथ सिस्टोलिक दबाव बढ़ जाता है, जो धमनी की कठोरता को और बढ़ा सकता है।
  • बदलते रक्तचाप के पैटर्न: रक्तचाप का सामान्य पैटर्न बदल जाता है, जिसमें सिस्टोलिक दबाव बढ़ता है और डायस्टोलिक दबाव घटता है।

ये बदलाव उम्र के साथ होते हैं, लेकिन आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन ( isolated systolic hypertension) उम्र का सामान्य हिस्सा नहीं है। इसके लिए सिस्टोलिक दबाव को सही से नियंत्रित करने के लिए दवाओं की ज़रूरत हो सकती है। उम्र से जुड़े रक्तचाप के इन बदलावों को सही तरीके से प्रबंधित करने के लिए नियमित जांच और चिकित्सा सहायता जरूरी है।

हाईपरटेंशन को नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ विकल्प चुनना

हाईपरटेंशन को सही से मैनेज करने के लिए स्वस्थ आदतें अपनाना जरूरी है। कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:

  • संतुलित आहार: ताजे फल, सब्जियाँ और कम नमक वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
  • नियमित व्यायाम: हर दिन कम से कम 30 मिनट की हल्की से मध्यम तीव्रता वाली गतिविधि करें।
  • वजन का नियंत्रण: सही वजन बनाए रखें और अतिरिक्त वजन घटाएं।
  • शराब का सेवन सीमित करें: शराब का सेवन कम करें या पूरी तरह से छोड़ दें।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहें।
  • तनाव कम करें: ध्यान, योग या अन्य तरीकों से तनाव कम करें।
  • पर्याप्त नींद लें: रोजाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।
  • नियमित निगरानी: अपने रक्तचाप की नियमित जांच कराएं।

रक्तचाप कम करने वाली दवाओं की जानकारी

रक्तचाप कम करने वाली दवाओं की जानकारी:

1.सामान्य दवाओं की श्रेणियाँ:

  • एसीई इनहिबिटर
  • एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर (ARBs)
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर
  • थायजाइड डाययूरेटिक्स
  • बीटा ब्लॉकर
  • अल्फा ब्लॉकर
  • डायरेक्ट रेनिन इनहिबिटर
  • एल्डोस्टेरोन एंटागोनिस्ट

2.इलाज की विधि:

  • शुरुआत में कम खुराक दी जाती है, और जरूरत पड़ने पर धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है।
  • बेहतर नियंत्रण के लिए अतिरिक्त दवाएँ जोड़ी जा सकती हैं।
  • इलाज मरीज की स्थिति के अनुसार खास तरीके से किया जाता है।

3.महत्वपूर्ण बातें:

  • डॉक्टर की नियमित जांच जरूरी है।
  • ज्यादातर लोगों को दवाओं के कुछ ही साइड इफेक्ट्स होते हैं।
  • खुराक बदलने या दवा बंद करने का निर्णय सिर्फ डॉक्टर की सलाह से करें।
  • सामान्यत: दवा को लंबे समय तक लेना पड़ता है।

3.संयोजन चिकित्सा:

  • अधिकतर प्रभावी नियंत्रण के लिए कई दवाओं का उपयोग किया जाता है।

4.दीर्घकालिक प्रबंधन:

  • दवाएँ रक्तचाप को नियंत्रित करती हैं, लेकिन इसका इलाज नहीं करतीं। आमतौर पर जीवनभर इलाज की जरूरत होती है।

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