परिचय:
नवजात शिशुओं को हिचकी आना एक सामान्य स्थिति है, लेकिन यह कई माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है। हिचकी की वजह से बच्चे को तकलीफ होती दिखती है, हालांकि यह अक्सर उनके लिए हानिरहित होती है। अगर आपका शिशु बार-बार हिचकी ले रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि पेट में गैस, तेजी से दूध पीना या पेट का भरना। इस लेख में हम जानेंगे कि शिशुओं को हिचकी क्यों आती है और इसे रोकने के प्रभावी उपाय क्या हैं।
1. अपरिपक्व डायाफ्राम
नवजात शिशुओं का डायाफ्राम (diaphragm) पूरी तरह विकसित नहीं होता है, जिससे वे हिचकी का अनुभव करते हैं। डायाफ्राम एक महत्वपूर्ण मांसपेशी है जो रेस्पिरेशन में मदद करती है। जब यह मांसपेशी अचानक सिकुड़ती है, तो हिचकी होती है। जैसे-जैसे शिशु बड़े होते हैं, उनका डायाफ्राम विकसित होता है और हिचकी की आवृत्ति (frequency) में कमी आती है।
2. अधिक दूध पिलाना या तेजी से पिलाना
जब शिशु को बहुत तेजी से या अधिक मात्रा में दूध पिलाया जाता है, तो उनके पेट में हवा भरने की संभावना बढ़ जाती है। इससे उन्हें हिचकी आ सकती है। यह समस्या विशेष रूप से तब होती है जब शिशु बोटल से दूध पीते हैं, क्योंकि बोटल का निपल जल्दी से दूध छोड़ता है, जिससे शिशु अधिक हवा निगल सकते हैं।
3. खान-पान के दौरान हवा निगलना
दूध पीते समय शिशु अक्सर हवा निगल लेते हैं, जो हिचकी का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब शिशु दूध पीते समय जल्दी-जल्दी या गहरी सांस लेते हैं। इसलिए, दूध पिलाने के समय ध्यान रखना जरूरी है कि शिशु आराम से दूध पीएं ताकि वे कम हवा निगलें।
4. अचानक तापमान में बदलाव
शिशुओं का शरीर तापमान में अचानक बदलाव के प्रति संवेदनशील होता है। जैसे कि जब आप उन्हें गर्म वातावरण से ठंडे वातावरण में ले जाते हैं, तो यह भी हिचकी को बढ़ा सकता है। इसीलिए, शिशुओं को एक स्थिर और संतुलित तापमान में रखना आवश्यक है।
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5. उत्साह या उत्तेजना
जब शिशु खेलते हैं या बहुत उत्साहित होते हैं, तो उनकी respiration गति बढ़ जाती है। इस दौरान वे अधिक हवा निगल सकते हैं, जिससे हिचकी हो सकती है। यह एक सामान्य प्रतिक्रिया है और अक्सर उनके शांत होने पर खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है।
हिचकी रोकने के उपाय
1. व्यवहारिक उपाय
हिचकी को रोकने के लिए कुछ व्यवहारिक उपाय अपनाए जा सकते हैं। शिशु को गले में लेटाना या हल्के से थपथपाना मददगार हो सकता है। यह उन्हें आराम देने के साथ-साथ हिचकी को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, शिशु को शांत वातावरण में रखना भी महत्वपूर्ण है।
2. कब चिंता करनी चाहिए
अगर हिचकी बहुत अधिक हो रही है या इसके साथ अन्य लक्षण जैसे उल्टी, खांसी, या सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसी स्थिति में, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हिचकी कभी-कभी अधिक गंभीर समस्याओं का संकेत भी हो सकती है।
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3. नवजात शिशुओं की हिचकी को आरामदायक तरीके से प्रबंधित करना
शिशु की हिचकी को नियंत्रित करने के लिए उन्हें धीरे-धीरे दूध पिलाना आवश्यक है। दूध पिलाने के बीच-बीच में उन्हें डकार दिलाने के लिए रोकें, ताकि पेट में हवा न फंसे। इसके अलावा, शिशु को सही स्थिति में रखकर दूध पिलाना भी मददगार होता है, जिससे हिचकी की संभावना कम होती है।
डॉक्टर से कब संपर्क करे:
हालांकि हिचकी आमतौर पर शिशुओं के लिए हानिरहित होती है, लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा और लंबे समय तक हो रही हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो सकता है। विशेष रूप से, अगर हिचकी के साथ कोई अन्य लक्षण जैसे उल्टी, खांसी, या सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।
निष्कर्ष:
नवजात शिशुओं में हिचकी एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है। हालांकि यह माता-पिता को चिंतित कर सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह हानिरहित होती है और समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है। ऊपर दिए गए सरल उपाय अपनाकर आप शिशु की हिचकी को कम कर सकते हैं और उन्हें आरामदायक महसूस करा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। चिकित्सीय स्थितियों के निदान और उपचार के लिए हमेशा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें।